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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम PCOD

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrom- PCOS

By:- Shersingh Meena


पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम  

यह एक हॉर्मोनल विकार है जो महिलाओं में विशेष रूप से प्रजनन आयु (15-45 वर्ष) के दौरान देखा जाता है। अक्सर PCOD (Polycystic Ovary Disease) भी कहा जाता है, हालांकि PCOS एक अधिक व्यापक और गंभीर स्थिति है जिसमें हार्मोनल असंतुलन और मेटाबॉलिक समस्याएं अधिक गंभीर होती हैं, जबकि PCOD को अक्सर लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्या मानी जाता है जिसमें अंडाशय में सिस्ट बनते हैं।

आमतौर पर, हर महीने ओवरी में एक अंडा विकसित होता है और फिर रिलीज होता है। लेकिन पीसीओडी में, कई छोटे-छोटे अपरिपक्व अंडे ओवरी में ही रह जाते हैं और सिस्ट का रूप ले लेते हैं। इसकी वजह से यह स्थिति महिलाओं के अंडाशय को प्रभावित करती है, जो प्रजनन प्रणाली का हिस्सा हैं। अंडाशय अंडे, एस्ट्रोजन (estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (progesterone) जैसे हार्मोन का उत्पादन करते हैं। ये हार्मोन मासिक धर्म चक्र और गर्भावस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। PCOS में, अंडाशय सामान्य से अधिक पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का उत्पादन कर सकते हैं  जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  1. अंडे का परिपक्व न होना: हार्मोनल असंतुलन के कारण अंडे पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते।
  2. अंडे का रिलीज न होना: जो अंडे विकसित नहीं हो पाते, वे ओवरी से बाहर नहीं निकल पाते।
  3. मासिक धर्म में अनियमितता: ओव्यूलेशन न होने के कारण मासिक धर्म अनियमित हो जाता है या पूरी तरह से रुक भी सकता है।
  4. प्रेगनेंसी में समस्या: ओव्यूलेशन न होने से गर्भधारण करने में भी मुश्किलें आती हैं। 


PCOS के कारण (Causes of PCOS)

PCOS के सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं, लेकिन माना जाता है कि कई कारक इसमें योगदान करते हैं:

इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance): यह PCOS का एक मुख्य कारण माना जाता है। जब कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं, तो अग्न्याशय (pancreas) अधिक इंसुलिन का उत्पादन करता है। इंसुलिन का उच्च स्तर अंडाशय को अधिक पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) बनाने के लिए उत्तेजित कर सकता है, जिससे ओव्यूलेशन (ovulation) में बाधा आती है।

आनुवंशिकी (Genetics): अगर आपकी माँ या बहन को PCOS है, तो आपको यह होने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ जीन को PCOS से जोड़ा गया है।

सूजन (Inflammation): शरीर में कम-ग्रेड की सूजन भी PCOS में योगदान कर सकती है। यह सूजन अंडाशय को अधिक एंड्रोजन बनाने के लिए उत्तेजित कर सकती है।

एंड्रोजन का अधिक उत्पादन (Excess Androgen Production): अंडाशय का अधिक पुरुष हार्मोन (जैसे टेस्टोस्टेरोन) बनाना PCOS का एक और कारण है। यह हार्मोनल असंतुलन अनियमित पीरियड्स, मुंहासे और चेहरे व शरीर पर अतिरिक्त बालों (हिरसुटिज्म) जैसी समस्याओं को जन्म देता है।

PCOS के लक्षण (Symptoms of PCOS)

PCOS के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं, और गंभीरता भी भिन्न हो सकती है। सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

अनियमित मासिक धर्म (Irregular Periods):  यह PCOS का सबसे आम लक्षण है। पीरियड्स देर से आ सकते हैं, बहुत कम या बहुत ज्यादा हो सकते हैं, या बिल्कुल नहीं आ सकते हैं। कुछ महिलाओं को साल में नौ से कम पीरियड्स आते हैं या लगातार तीन महीने या उससे अधिक समय तक पीरियड नहीं आते हैं।

अतिरिक्त बालों का विकास (Excess Hair Growth - Hirsutism): चेहरे, छाती, पेट, पीठ और जांघों पर पुरुष-पैटर्न में मोटे और काले बालों का बढ़ना।

मुंहासे (Acne): हार्मोनल असंतुलन के कारण गंभीर मुंहासे हो सकते हैं, खासकर चेहरे, छाती और पीठ पर।

जन बढ़ना और मोटापा (Weight Gain and Obesity): PCOS से पीड़ित कई महिलाओं को वजन कम करने में कठिनाई होती है, खासकर पेट के आसपास। इंसुलिन प्रतिरोध इसमें एक बड़ी भूमिका निभाता है।

बालों का पतला होना या झड़ना (Hair Thinning or Loss - Androgenic Alopecia): सिर के बालों का पतला होना या गंजापन (पुरुष-पैटर्न गंजापन)।

त्वचा का काला पड़ना (Acanthosis Nigricans): गर्दन, बगल, कमर या स्तनों के नीचे त्वचा का काला, मोटा और मखमली होना। यह इंसुलिन प्रतिरोध का संकेत है।

गर्भधारण में कठिनाई (Difficulty Conceiving): ओव्यूलेशन की अनियमितता या अनुपस्थिति के कारण गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है। यह महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है।

मूड स्विंग्स (Mood Swings), चिंता (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression): हार्मोनल असंतुलन और लक्षणों के कारण मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

नींद की समस्या (Sleep Problems): नींद एप्निया (sleep apnea) का खतरा बढ़ जाता है, खासकर मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में।

पेल्विक दर्द (Pelvic Pain): कुछ महिलाओं को पेल्विक क्षेत्र में दर्द का अनुभव हो सकता है।

PCOS का निदान (Diagnosis of PCOS)

PCOS का निदान लक्षणों, शारीरिक जांच और कुछ परीक्षणों के आधार पर किया जाता है। इसमें शामिल हैं:

  • चिकित्सा इतिहास (Medical History): डॉक्टर आपके मासिक धर्म चक्र, वजन, बालों के विकास और अन्य लक्षणों के बारे में पूछेंगे।
  • शारीरिक जांच (Physical Examination): रक्तचाप, वजन और शरीर के बालों के पैटर्न की जांच की जाती है।
  • रक्त परीक्षण (Blood Tests):
  • हार्मोन का स्तर: टेस्टोस्टेरोन, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH), फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH), और थायराइड हार्मोन की जांच की जाती है।
  •  ग्लूकोज (Glucose) और इंसुलिन (Insulin) का स्तर: इंसुलिन प्रतिरोध का पता लगाने के लिए।
  • लिपिड प्रोफाइल (Lipid Profile): कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच।
  • अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): अंडाशय का अल्ट्रासाउंड करके सिस्ट की उपस्थिति और अंडाशय के आकार की जांच की जाती है।

PCOS का उपचार (Treatment of PCOS)

PCOS का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है और जटिलताओं को रोका जा सकता है। उपचार मुख्य रूप से लक्षणों और भविष्य की योजनाओं (जैसे गर्भावस्था) पर निर्भर करता है।

जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Modifications) जीवनशैली में बदलाव PCOS के प्रबंधन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

  • स्वस्थ आहार (Healthy Diet):
  • उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ: फल, सब्जियां, साबुत अनाज (जैसे ओट्स, बाजरा, ब्राउन राइस), दालें और बीन्स का सेवन बढ़ाएं। ये रक्त शर्करा को स्थिर रखने और इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में मदद करते हैं।
  • लीन प्रोटीन: चिकन, मछली, अंडे, टोफू और दालें जैसे लीन प्रोटीन स्रोत शामिल करें।
  • स्वस्थ वसा: एवोकाडो, नट्स, बीज, जैतून का तेल और मछली में पाए जाने वाले स्वस्थ वसा का सेवन करें।
  • प्रोसेस्ड फूड और चीनी से बचें: मीठे पेय पदार्थ, मिठाई, सफेद ब्रेड, पास्ता और प्रोसेस्ड स्नैक्स से बचें। ये इंसुलिन के स्तर को बढ़ाते हैं और वजन बढ़ने में योगदान करते हैं।
  • छोटे और बार-बार भोजन: दिन में 3 बड़े भोजन के बजाय 5-6 छोटे भोजन लेने से रक्त शर्करा का स्तर स्थिर रहता है।
  • नियमित व्यायाम (Regular Exercise):
  • रोजाना कम से कम 30-60 मिनट की मध्यम तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि करें, जैसे तेज चलना, जॉगिंग, योग, डांस या साइकिल चलाना। व्यायाम वजन कम करने, इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने और मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  • वजन प्रबंधन (Weight Management): यहां तक कि 5-10% वजन घटाने से भी PCOS के लक्षणों (जैसे अनियमित पीरियड्स और एंड्रोजन का स्तर) में काफी सुधार हो सकता है।
  • तनाव प्रबंधन (Stress Management): योग, ध्यान, गहरी सांस लेने के व्यायाम और अन्य तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें। तनाव हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकता है।
  • पर्याप्त नींद (Adequate Sleep): 7-8 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद लें। नींद की कमी हार्मोनल संतुलन को बाधित कर सकती है।

 दवाएं (Medications)

डॉक्टर लक्षणों के आधार पर विभिन्न दवाएं लिख सकते हैं:

जन्म नियंत्रण गोलियां (Birth Control Pills): ये मासिक धर्म चक्र को नियमित करने, एंड्रोजन के स्तर को कम करने और मुंहासे व अतिरिक्त बालों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।

मेटफॉर्मिन (Metformin): यह इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करती है और रक्त शर्करा के स्तर को कम करती है। यह वजन घटाने और ओव्यूलेशन को नियमित करने में भी मदद कर सकती है।

एंटी-एंड्रोजन दवाएं (Anti-androgen Medications): ये पुरुष हार्मोन के प्रभावों को रोकती हैं और अतिरिक्त बालों के विकास और मुंहासे को कम करने में मदद करती हैं।

ओव्यूलेशन उत्तेजक दवाएं (Ovulation Stimulants): यदि आप गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं, तो डॉक्टर क्लोमीफीन (clomiphene) या लेट्रोजोल (letrozole) जैसी दवाएं लिख सकते हैं जो ओव्यूलेशन को बढ़ावा देती हैं।

प्रजनन उपचार (Fertility Treatments)

यदि जीवनशैली में बदलाव और दवाओं के बावजूद गर्भधारण में कठिनाई होती है, तो डॉक्टर प्रजनन उपचार की सलाह दे सकते हैं, जैसे:

आईवीएफ (In Vitro Fertilization - IVF): एक उन्नत प्रजनन तकनीक जिसमें अंडे को शरीर के बाहर निषेचित किया जाता है।

PCOS की जटिलताएं (Complications of PCOS)

यदि PCOS का ठीक से प्रबंधन नहीं किया जाता है, तो यह कई स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म दे सकता है:

  •  टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes): इंसुलिन प्रतिरोध के कारण टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
  • हृदय रोग (Heart Disease): उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और इंसुलिन प्रतिरोध के कारण हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
  • एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial Cancer): अनियमित पीरियड्स के कारण गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) मोटी हो सकती है, जिससे एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • बांझपन (Infertility): ओव्यूलेशन की कमी या अनियमितता के कारण गर्भधारण में कठिनाई।
  • गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes): गर्भावस्था के दौरान मधुमेह होने का खतरा बढ़ जाता है, जो माँ और बच्चे दोनों के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
  • स्लीप एप्निया (Sleep Apnea): नींद के दौरान सांस लेने में बार-बार रुकावट।
  • डिप्रेशन और चिंता (Depression and Anxiety): शारीरिक लक्षणों और हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

PCOS में सावधानियां और बचाव (Precautions and Prevention in PCOS)

PCOS को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसके लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है और जटिलताओं के जोखिम को कम किया जा सकता है:

  • नियमित स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से डॉक्टर से मिलें और अपने लक्षणों पर नज़र रखें।
  • वजन पर नियंत्रण: स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करें।
  • संतुलित आहार: चीनी और प्रोसेस्ड फूड से बचें, और उच्च फाइबर वाले, पौष्टिक भोजन का सेवन करें।
  • नियमित व्यायाम: शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
  • तनाव कम करें: तनाव प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करें।
  • धूम्रपान और शराब से बचें: ये हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकते हैं।


PCOD एक हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी समस्या है, जिसमें शरीर की मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया प्रभावित होती है। ऐसे में बाहर का तला-भुना, अधिक नमक-तेल वाला और प्रोसेस्ड खाना, स्थिति को और बिगाड़ सकता है। स्ट्रीट फूड में पोषण नहीं, बल्कि स्वाद होता है – जो तुरंत तो अच्छा लगता है, लेकिन शरीर के लिए धीमा ज़हर बन सकता है।

स्ट्रीट फूड खाने से क्या समस्याएं बढ़ सकती हैं?

  • इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है
  • जंक फूड ब्लड शुगर को असंतुलित करता है, जिससे इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है और पीसीओडी गंभीर हो जाता है।

  • वजन तेज़ी से बढ़ता है
  • स्ट्रीट फूड में हाई कैलोरी होती है जो मोटापा बढ़ाती है। मोटापा PCOD को और बढ़ावा देता है।

  • हार्मोनल असंतुलन और बढ़ता है
  • रिफाइंड तेल और पैकेज्ड मसाले शरीर के हार्मोन को प्रभावित करते हैं।

  • .पाचन क्रिया कमजोर होती है
  • अधिक मसालेदार और बासी तेल में बना खाना पेट के लिए हानिकारक है।

  •  त्वचा की समस्याएं बढ़ती हैं
  • मुंहासे, ऑयली स्किन और हेयरफॉल स्ट्रीट फूड से और बढ़ सकते हैं।

इन चीजों से करें परहेज (PCOD में न खाने वाली स्ट्रीट फूड चीजें)


गोलगप्पे / पानीपुरी हाइजीन नहीं होती, पानी बैक्टीरिया से भरा हो सकता है
चाट, समोसा, कचौरी डीप फ्राई, ज्यादा तेल और ट्रांस फैट
पाव भाजी / बर्गर / मोमोज रिफाइंड आटा, बटर और प्रोसेस्ड सब्जियाँ
चाउमीन / मंचूरियन MSG, रिफाइंड ऑयल, तीखा मसाला
पिज्जा / सैंडविच (बाजार वाले) चीज़, मेयो और मैदा का इस्तेमाल
कोल्ड ड्रिंक्स और बबल टी बहुत अधिक चीनी, गैस और प्रिजर्वेटिव
बेसन के पकौड़े / भेलपूरी डीप फ्राई और बार-बार गर्म किया गया तेल


इनकी जगह क्या खाएं? (Healthy विकल्प)

घर का बना पोहा/उपमा/ढोकला हल्का, फाइबर युक्त और ताजा
भुने हुए चने/मखाने प्रोटीन से भरपूर
नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी शरीर को डिटॉक्स करने में मदद
हर्बल टी / ग्रीन टी मेटाबॉलिज्म को सुधारती है
फल (जैसे पपीता, सेब, अमरूद) नेचुरल मिठास, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट


PCOS एक आजीवन स्थिति है जिसका प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जा सकता है। सही जानकारी, जीवनशैली में बदलाव और चिकित्सा सहायता से महिलाएं PCOS के लक्षणों को नियंत्रित कर सकती हैं और एक स्वस्थ व पूर्ण जीवन जी सकती हैं। यदि आपको PCOS के लक्षण अनुभव होते हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है ताकि उचित निदान और उपचार शुरू किया जा सके।




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