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What is menstrual cycle in female body....

                   मासिक धर्म चक्र आपके शरीर में होने वाले परिवर्तनों की एक श्रृंखला है जो संभावित गर्भावस्था के लिए हर महीने तैयार होती है। मासिक धर्म चक्र के चार चरण हैं: मासिक धर्म, कूपिक चरण, ओव्यूलेशन और ल्यूटियल चरण। अपने मासिक धर्म चक्र को समझने से आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि आपके गर्भवती होने की सबसे अधिक संभावना कब है। मासिक धर्म चक्र वह मासिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक महिला का शरीर गर्भावस्था के लिए खुद को तैयार करता है। यह हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है और इसमें अंडाशय, गर्भाशय और मस्तिष्क के बीच जटिल तालमेल शामिल होता है। औसत चक्र 28 दिनों का होता है, लेकिन यह हर महिला में अलग-अलग हो सकता है, 21 से 35 दिनों के बीच का चक्र भी सामान्य माना जाता है। चक्र की गणना मासिक धर्म के पहले दिन से शुरू होती है। यदि गर्भावस्था नहीं होती है, तो गर्भाशय की परत, जो गर्भावस्था के लिए तैयार की गई थी, टूट जाती है और रक्तस्राव के रूप में योनि से बाहर निकल जाती है, जिसे हम मासिक धर्म (Periods) कहते हैं। मासिक धर्म चक्र के चार चरण मासिक...
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आईवीएफ (IVF) क्या है

आईवीएफ (IVF) क्या है By. SHER SINGH MEENA परिचय आज के आधुनिक युग में विज्ञान ने चिकित्सा क्षेत्र में अद्भुत प्रगति की है। विशेषकर उन दंपतियों के लिए जो संतान सुख से वंचित हैं, आईवीएफ (IVF - इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक वरदान साबित हुआ है। जब प्राकृतिक रूप से गर्भधारण संभव नहीं होता, तब इस तकनीक की मदद ली जाती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आईवीएफ क्या है, इसकी प्रक्रिया, लाभ, जोखिम, लागत और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी। आईवीएफ (IVF) क्या है? आईवीएफ का पूरा नाम है "इन विट्रो फर्टिलाइजेशन"। यह एक प्रकार की सहायक प्रजनन तकनीक (Assisted Reproductive Technology - ART) है, जिसमें महिला के अंडाणु (Egg) और पुरुष के शुक्राणु (Sperm) को लैब में मिलाया जाता है। जब भ्रूण (Embryo) बन जाता है, तो उसे महिला के गर्भाशय (Uterus) में स्थापित कर दिया जाता है।  जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ होते हैं। इस प्रक्रिया में महिला के अंडाशय से अंडे (ovum) निकाले जाते हैं और पुरुष के शुक्राणु (sperm) को प्रयोगशाला (लैब) में, शरीर के बाहर, एक विशेष माध्यम (culture medium) में निषेचि...

HCG ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन TEST

HCG ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन TEST By: Shersingh Meena एचसीजी (HCG) टेस्ट, जिसे अक्सर गर्भावस्था परीक्षण के रूप में जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण TEST  है जिसका उपयोग मुख्य रूप से गर्भावस्था का पता लगाने और उसकी निगरानी के लिए किया जाता है। गर्भावस्था की पुष्टि करने में इसकी भूमिका होती है एचसीजी (HCG) क्या है? HCG का पूरा नाम है Human Chorionic Gonadotropin (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रॉपिन)। यह एक विशेष प्रकार का हार्मोन होता है जो केवल गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में बनता है। जो प्लेसेंटा द्वारा निर्मित होता है। प्लेसेंटा वह अंग है जो गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में विकसित होता है ताकि बढ़ते भ्रूण को ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रदान कर सके और अपशिष्ट उत्पादों को हटा सके। निषेचित अंडे (fertilized egg)  के गर्भाशय की दीवार में आरोपण (आमतौर पर निषेचन के लगभग 6-10 दिनों के बाद) के तुरंत बाद HCG  का उत्पादन शुरू हो जाता है। गर्भावस्था में इसका प्राथमिक कार्य कॉर्पस ल्यूटियम को बनाए रखना है, जो डिंबोत्सर्जन के बाद अंडाशय में बनने वाली एक अस्थायी अंतःस्रावी ग्रंथि है। कॉर्प...

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम PCOD

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrom- PCOS By:- Shersingh Meena पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम   यह एक हॉर्मोनल विकार है जो महिलाओं में विशेष रूप से प्रजनन आयु (15-45 वर्ष) के दौरान देखा जाता है। अक्सर PCOD (Polycystic Ovary Disease) भी कहा जाता है, हालांकि PCOS एक अधिक व्यापक और गंभीर स्थिति है जिसमें हार्मोनल असंतुलन और मेटाबॉलिक समस्याएं अधिक गंभीर होती हैं, जबकि PCOD को अक्सर लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्या मानी जाता है जिसमें अंडाशय में सिस्ट बनते हैं। आमतौर पर, हर महीने ओवरी में एक अंडा विकसित होता है और फिर रिलीज होता है। लेकिन पीसीओडी में, कई छोटे-छोटे अपरिपक्व अंडे ओवरी में ही रह जाते हैं और सिस्ट का रूप ले लेते हैं। इसकी वजह से यह स्थिति महिलाओं के अंडाशय को प्रभावित करती है, जो प्रजनन प्रणाली का हिस्सा हैं। अंडाशय अंडे, एस्ट्रोजन (estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (progesterone) जैसे हार्मोन का उत्पादन करते हैं। ये हार्मोन मासिक धर्म चक्र और गर्भावस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। PCOS में, अंडाशय सामान्य से अधिक पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का उत्पादन कर सकते हैं...

हार्मोनल संतुलन: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की भूमिका

By:- Shersingh Meena एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन: महिला स्वास्थ्य के दो स्तंभ हमारे शरीर में हार्मोन एक तरह के रासायनिक संदेशवाहक होते हैं, जो शरीर की विभिन्न क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। महिलाओं के शरीर में दो मुख्य प्रजनन हार्मोन होते हैं – एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone)। ये दोनों हार्मोन न केवल मासिक धर्म चक्र को नियमित करते हैं, बल्कि गर्भावस्था, हड्डियों की मजबूती, मिज़ाज और त्वचा की स्थिति जैसे कई शारीरिक और मानसिक पहलुओं को भी प्रभावित करते हैं। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि ये दोनों हार्मोन क्या होते हैं, उनका कार्य क्या है, और इनके असंतुलन के क्या प्रभाव हो सकते हैं। 1. एस्ट्रोजन (Estrogen) क्या है? एस्ट्रोजन एक प्रमुख स्त्री हार्मोन है जो मुख्य रूप से अंडाशय (ovary) द्वारा उत्पन्न होता है, हालांकि थोड़ी मात्रा में यह एड्रिनल ग्रंथि और वसा ऊतकों से भी निकलता है। यह हार्मोन महिला के यौन विकास, मासिक धर्म चक्र, और प्रजनन क्षमता के लिए आवश्यक होता है। एस्ट्रोजन के कार्य मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करना। गर्भाशय की परत (endometrium) को मोटा करना ताकि...

FSH & LH HORMONE FUNCTION IN HUMAN BODY

FSH & LH HORMONE FUNCTION IN HUMAN BODY By:- Shersingh Meena   हमारा शरीर इतनी जटिल प्रक्रियाओं को कैसे नियंत्रित करता है? खासकर प्रजनन जैसी मूलभूत क्रिया, जो जीवन को आगे बढ़ाती है। इस पूरी प्रक्रिया के पीछे कुछ अदृश्य नायक काम करते हैं - हमारे हार्मोन। और जब बात प्रजनन की आती है, तो दो हार्मोन का नाम सबसे पहले आता है FSH (फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन) और LH (ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन) ये दोनों हार्मोन हमारे शरीर के एक छोटे से हिस्से, मस्तिष्क के नीचे स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होते हैं, लेकिन इनका प्रभाव हमारे प्रजनन तंत्र पर बहुत बड़ा होता है। इन्हें अक्सर गोनाडोट्रोपिन कहा जाता है क्योंकि ये सीधे हमारे गोनाड्स (पुरुषों में वृषण और महिलाओं में अंडाशय) पर कार्य करते हैं। आइए, इन दोनों महत्वपूर्ण हार्मोनों की गहराई से पड़ताल करते हैं और समझते हैं कि ये हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। FSH: प्रजनन क्षमता का पहला कदम FSH  - जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, "फॉलिकल को उत्तेजित करने वाला हार्मोन" है। इसका काम फॉलिकल्स को सक्रिय करना है – ये छोटी-छोटी...

क्या ज्यादा गुस्सा हार्ट फेल्योर का कारण बन सकता है? जानिए सच और समाधान

By:- Shersingh Meena गुस्सा आना एक सामान्य भावना है, लेकिन जब यह बार-बार, तीव्र और अनियंत्रित रूप में आता है, तो यह हमारे शरीर खासकर दिल (Heart) पर खतरनाक असर डालता है। मेडिकल साइंस में कई ऐसे केस दर्ज किए गए हैं जहां अत्यधिक गुस्से के कारण हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर तक हो गया। गुस्से में शरीर में क्या होता है? जब हम गुस्सा करते हैं, तो शरीर में तनाव-उत्प्रेरक हार्मोन जैसे एड्रेनालिन और नॉरएड्रेनालिन तेजी से बनते हैं। इनके कारण: दिल की धड़कन तेज हो जाती है ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाता है ऑक्सीजन की आवश्यकता बढ़ जाती है मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं यह सब मिलकर हृदय पर भारी दबाव डालता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनमें पहले से दिल की बीमारी, हाई बीपी, डायबिटीज़ या स्मोकिंग की आदत हो। गुस्से से कैसे हो सकता है हार्ट फेल्योर? गुस्से की स्थिति में ब्लड क्लॉट (खून का थक्का) बनने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यह थक्का अगर दिल की धमनियों को ब्लॉक कर दे तो व्यक्ति को हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर हो सकता है। कुछ मामलों में ये अटैक गुस्से के तुरंत बाद होते हैं, जबकि कई बार 1 घंटे के भीतर भी ये खतरा बना...